5 Easy Facts About parad shivling photo Described
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आप जितनी बार उसे हथेली पर घिसेंगे वह उतनी बार कालीक छोड़ेगा लेकिन शिवलिंग कभी काला नहीं होगा वह हमेशा चांदी की तरह चमकता रहेगा।
Mercury “Amrit Cup” and beads can be used to deal with various ailments. When eaten while in the pure form, it would make the human physique powerful, agile and lustrous.
The techniques and rituals connected with the Parad Shivling have already been an integral A part of Hindu spirituality for centuries, reflecting the deep-rooted traditions and wisdom passed down by way of generations.
Certainly. When rooted in Hindu custom, the symbolism and methods associated with the Shivling and Rudraksha beads resonate with seekers from different spiritual backgrounds.
वहीं जब इसे चांदी के मिला दिया जाता है तो यह ठोस रूप ले लेता है।कहा गया है कि चांदी और पारा से बने पारद शिवलिंग में कई तरह की शक्ति आ जाती है। उदाहरण के तौर पर कहा गया है कि अगर पारद शिवलिंग को बर्फ पर रख दिया जाय तो वह अपने आकार के बराबर बर्फ को सोख लेता है। पारद शिवलिंग समस्त दुखो का नाश करने वाला मानसिक व शारिरिक चिन्ताओ का अंत करने और शांति प्रदान करने वाला बताया गया है
मोक्ष प्राप्ति का द्वार खोलता है पारद शिवलिंग।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशय:।।
Substantially is discussed Parad and various metals the world over. The chemistry of such metals is outlined inside the Rasashastra India’s historical science of using the elemental essences of varied substances (metals) for therapeutic and spiritual growth. It was Nagarjun, a philosopher, metallurgist and saint (10th century) who thoroughly analyzed Mercury and its key powers.
Although visiting a temple is really a profound encounter, your own Place will also be a temple – a sanctuary in which the divine meets your soul. When you complete these rituals every day, you embark on the pilgrimage within.
पारद शिवलिंग के स्पर्श करने मात्र से सकारात्मक ऊर्जा का शरीर में प्रवेश होता है और पुण्यफल की प्राप्ति होती है। शिवपुराण में बताया गया है कि अन्य शिवलिंगों के अपेक्षा पारद शिवलिंग की पूजा करने से हजार गुना फल मिलता है। बताया जाता है कि पारद की उत्पत्ति भगवान शिव के अंश से हुई थी और घर में इसको रखने पर भगवान शिव, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता का स्थायी वास होता है।
भगवान शिव को पारा अति प्रिय है, तथा उन्होंने स्वयं कहा है कि पारे से बना शिवलिंग का अगर निर्माण किया जाये तो उसकी तुलना किसी अन्य देवी देवता या अन्य किसी यंत्र से नहीं हो सकती। प्रत्येक सोमवार की सुबह इसकी विशेष पूजा तथा प्रदोष एवं श्रावण मास में रुद्रा अभिषेक करने से मनोवांछित लाभ प्राप्त होता है। अत: जो जातक अपने जीवन को शून्यता की तरह जी रहे हो और वह पारदेश्वर शिवलिंग की पूजा करे तो वह स्वयं ही कह उठेंगे की ईश्वर है पारदेश्वर शिवलिंग अपने आप में एक अदभुत वस्तु है।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
So, after you bring Parad Shivling at home, you open your doors for infinite fortune, superior health, and the overall spiritual safety of your relatives. click here In fact, the mere sight of the mercury Shivling is considered sacred.